सौ बार जनम लेंगे, सौ बार फ़ना होंगे ऐ जान-ए-वफ़ा फिर भी, हम तुम न जुदा होंगे क़िस्मत हमे मिलने से, रोकेगी भला कब तक इन प्यार की राहों में, भटकेगी वफ़ा कब तक क़दमों के निशाँ खुद ही, मंज़िल का पता होंगे ये कैसी उदासी है, जो हुस्न पे छाई है हम दूर नहीं तुम से, कहने को जुदाई है अरमान भरे दो दिल, फिर एक जगह होंगे